ऑनलाइन शॉपिंग व ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते वक़्त रखे यह 6 सावधानियां. MUST READ
ऑनलाइन शॉपिंग व ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते वक़्त रखे यह 6 सावधानियां.
भारत में इंटरनेट और स्मार्टफोन्स के तेजी से प्रसार के साथ ही ऑनलाइन शॉपिंग, ऑनलाइन टिकट बुकिंग और अन्य तरह के ऑनलाइन ट्रांजेक्शन का ट्रेंड भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। भारत में अब ई-कॉमर्स अब एक बड़े ट्रेंड के रूप में उभर रहा है। लेकिन इसकी के साथ साथ हैकर्स का खतरा भी बढ़ता जा रहा है जो की कस्टमर की गोपनीय जानकारी चुराकर उन्हें आर्थिक रूप से नुक्सान पहुंचा रहे है। अधिकतर केस में हमारी खुद की जरा से असावधानी उन्हें ऐसा करने का मौका देती है। यदि हम ऑनलाइन शॉपिंग व ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते वक़्त कुछ सामन्य बातों का ध्यान रखे तो हम अपने पैसों को सुरक्षित रख सकते है। आज हम आपको यहाँ ध्यान रखने योग्य 6 ऐसी ही बाते बता रहे है।
1 – एनक्रिप्शन का ध्यान रखें –
किसी भी वेबसाइट पर अपना कॉन्फिडेंशियल डेटा डालने से पहले चेक कर लें कि वेबसाइट एनक्रिप्शन का इस्तेमाल कर रही है या नहीं। एनक्रिप्शन के जरिए किसी भी डेटा को प्रोटेक्ट किया जाता है, ताकि नेटवर्क में ट्रैवल करते समय आपके डेटा को कोई नुकसान ना हो या फिर वह चोरी ना हो।
ऐसे चेक करें एनक्रिप्शन
कोई भी वेबसाइट एनक्रिप्टेड है या नहीं इसे चेक करने के लिए url देखें। यदि url में https है तो वह वेबसाइट एनक्रिप्टेड है। https में s का मतलब है security। यदि url में दाईं तरफ 'बंद ताले' का निशान हो तो भी वह वेबसाइट सुरक्षित है।
2- सभी सॉफ्टवेयर के लिए ऑटो अपडेट का इस्तेमाल करें –
आपने अपने कम्प्यूटर सिस्टम में जो भी एंटीवायरस सॉफ्टवेयर प्रोटेक्शन के लिए इंस्टॉल किया है, उसका ऑटो अपडेट होते रहना बहुत ही जरूरी होता है। इतना ही नहीं, आपके सिस्टम के अन्य सभी सॉफ्टवेयर का भी अपडेट होते रहना जरूरी है। जरा सोच कर देखिए, अगर इन सॉफ्टवेयर में कोई खराबी आ जाए तो आपका सिस्टम हैक करना किसी हैकर के लिए कितना आसान हो सकता है। इन सभी से बचने के लिए अपने सॉफ्टवेयर का ऑटो अपडेट फंक्शन ऑन रखना चाहिए।
यदि सॉफ्टवेयर ऑटो अपडेट सपोर्ट नहीं करता है तो कोई ऐसा सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करें, जो ऑटो अपडेट सपोर्ट करे। आप चाहें तो अपने सॉफ्टवेयर को समय-समय पर मैन्युअली अपडेट भी कर सकते हैं। हर रोज बहुत सारे वायरस नेटवर्क में पैदा हो रहे हैं, जिनसे बचने के लिए कंपनी समय-समय पर अपडेट देती है, जिसे इंस्टॉल करते रहना चाहिए।
3- कैश ऑन डिलिवरी ऑप्शन –
यदि कोई वेबसाइट आपको कैश ऑन डिलिवरी का ऑप्शन देती है तो इसे इस्तेमाल करने से जरा भी नहीं हिचकें। ऐसा करने से सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आपको ऑनलाइन पेमेंट नहीं करना होता है, जिससे आपके अकाउंट की जानकारियों के हैक होने का खतरा बिल्कुल कम हो जाता है। बहुत सारे लोग कैश ऑन डिलिवरी के ऑप्शन को नहीं लेते हैं, क्योंकि इसमें कुछ वेरिफिकेशन से गुजरना पड़ता है। ऐसी स्थिति में आलस न करते हुए कैश ऑन डिलिवरी का ऑप्शन लें और अपने अकाउंट को सुरक्षित करें।
4- वेबसाइट का डिजिटल सर्टिफिकेट चेक करें –
किसी रिटेलर या फिर मर्चेंट वेबसाइट पर कोई भी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने से पहले उस वेबसाइट का डिजिटल सर्टिफिकेट जरूर देख लें। एक वेबसाइट का डिजिटल सर्टिफिकेट वेबसाइट की वैधता को दर्शाता है। वेरीसाइन (VeriSign) जैसी इंडिपेंडेंट सर्विसेस इस तरह की वैधता के बारे में बताती हैं, जो किसी भी वेबासाइट को यूज करने वाले यूजर को उसके सही और गलत होने के बारे में बताता है।
5- कॉन्फिडेंशियल जानकारियां चुराने वाले फिशिंग ई-मेल से बच कर रहें –
आपके बैंक या फिर किसी थर्ड पार्टी द्वारा किए गए किसी भी प्रकार के प्रमोशनल मेल से बचें, जो आपकी सेंसिटिव जानकारी मांग रहा हो। बहुत सारे लोग इस तरह के मेल के झांसे में आकर पिछले दिनों में अपना काफी पैसा गवां चुके हैं। इस बात का खास ध्यान रखें कि कोई भी बैंक मेल द्वारा कभी अपने ग्राहक से उसकी सेंसिटव जानकारियां नहीं मांगता है।
6- ब्रांडेड मर्चेंट से ही खरीददारी करें –
कोई भी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप एक ब्रांडेड मर्चेंट से ही खरीददारी कर रहे हैं। कई सारे छोटे वेंडर बहुत ही कम सिक्योरिटी के साथ मार्केट में ऑपरेट कर रहे हैं, जिन पर कोई भी ट्रांजेक्शन करने का मतलब है खुद की जानकारियों को खतरे में डालना। मर्चेंट की प्राइवेसी पॉलिसी का भी विशेष ध्यान रखें। कई बार कंपनियां आपकी पर्सनल जानकारी दूसरी मार्केटिंग या रिसर्च कंपनियों के साथ शेयर करने की पॉलिसी बना लेती हैं, जिनके बारे में आपको पता नहीं होता है। आपकी पर्सनल जानकारी शेयर करने से आपके अकाउंट की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है।